चुपके से
कान में
कह गया कोई
मत रूक
तू बढ़ चल..
जिसे तू जीवन का
पूर्ण विराम समझ बैठी है
वह पूर्ण विराम नहीं
क्षणिक विश्राम है।
अन्तिम सोपान नहीं,
अभी आरूढ़ होना है तुझे
सफलताओं के
उस उन्नत शिखर पर
जो अभी दूर बहुत दूर
नजर आता है।
इस लिये
कहता हूँ
मत ठहर तू बन अचल
मत रूक तू बढ़ चल।