सबको हासिल है
अपने हिस्से की धरती
अपने हिस्से का आकाश
अपने हिस्से का पानी
अपने हिस्से की सांस
अपने हिस्से की आग
फ़िर भी चाहिए
और धरती
और आकाश
और पानी
और सांस
और आग
इस महाशून्य में
सबको हासिल है
अपने हिस्से की धरती
अपने हिस्से का आकाश
अपने हिस्से का पानी
अपने हिस्से की सांस
अपने हिस्से की आग
फ़िर भी चाहिए
और धरती
और आकाश
और पानी
और सांस
और आग
इस महाशून्य में