जब गुजरता हूँ अपने पुराने शहर से
गलियाँ सूनी-सूनी सी...
तेरे ना होने का फर्क दिखता है
तेरी आवाज की नामौजूदगी का असर दिखता है
सब कुछ वैसा ही है
सभी के लिए
पर तुम्हारी कमी का असर,
मुझमें ओर मेरे इर्द गिर्द दिखता है।
जब गुजरता हूँ अपने पुराने शहर से
गलियाँ सूनी-सूनी सी...
तेरे ना होने का फर्क दिखता है
तेरी आवाज की नामौजूदगी का असर दिखता है
सब कुछ वैसा ही है
सभी के लिए
पर तुम्हारी कमी का असर,
मुझमें ओर मेरे इर्द गिर्द दिखता है।