तेरी महिमा अपार | ( ध्रुपद )
निर्गुण निराकार, वेद हूं न पाया पार, तू ही सर्वाधार ||
संत वेद रटत चार, शेष सब तेरे आधार, तू ही पारावार ||
सत्य सृष्टि के आधार, योगी मुनि प्राणाधार, तू ही सुन पुकार ||
शिवदीन प्रभु निर्विकार, पूर्ण ब्राह्म तेज सार, तू ही कर सुधार ||