सुऽ के सागर में रात भर
तू डुबकी लगाती रही
तेरी याद में नींद मुझे
देर रात तक चिढ़ाती रही
तू बदलती होगी करवटें
दिल से किसी की बाहों में
मैं हिचकियाँ ले-लेकर अब
जगता हूँ तेरी आहों में
तू सोयी होगी पैरों पे
पैर रऽ के अंगड़ाई में
मेरा पल-पल कट रहा है
तेरी याद व विदाई में
सारे लोग सोये होंगे
तेरी साँसों की गहराई में
मेरी पलक गिरती नहीं
देर रात तक तन्हाई में
अब मेरी साथी बनेगी
अँध्ेरी और बरसाती रात
कलेजे पर ऽाकर चोटें
बिगड़ेंगे मेरे हालात।