तेरे चरणों की शपथ! काँप उठते हैं मेरे हाथ,
कर में होती है क़लम और जब तू रहता है साथ;
जैसे रिकॉर्ड की सुई, चाव तेरा भाँवर भरता है,
आविष्ट भाव का पटल अक्ष पर ध्रुव परिभ्रम करता है।
तेरे चरणों की शपथ! काँप उठते हैं मेरे हाथ,
कर में होती है क़लम और जब तू रहता है साथ;
जैसे रिकॉर्ड की सुई, चाव तेरा भाँवर भरता है,
आविष्ट भाव का पटल अक्ष पर ध्रुव परिभ्रम करता है।