पढ़ मेरे तोते सीता-राम,
सीता-राम राधा-श्याम।
राधा-श्याम, श्याम-श्याम,
श्याम-श्याम, सीता-राम।
हरि मुरारे गोविंदे,
श्री मुकुन्द, परमानंदे।
परम पुरुष माधव मायेश,
नारायण त्रैलोक्य नरेश।
अलख निरंजन निर्गुन नाम,
अखिल लोक कृत पूरन काम।
पढ़ मरे तोते सीता-राम,
सीता-राम राधा-श्याम।
हरा तेरा चटकीला रंग,
भरा गठीला सुंदर अंग।
गले बिराजे डोरा लाल,
गोल चोंच, फिर बोल रसाल।
बन पेड़ों में तेरा वास,
भोजन फल विचरन आकाश।
अब सुंदर पिंजड़े में बंद,
‘सब तज हर भज’ कर आनंद।
देख तुझे और तेरा ढंग,
मन में उपजे अजब उमंग।
बोलो प्यारे सीता-राम,
सीता-राम, राधा-श्याम।
-रचना तिथि: 14.5.1910
-मनोविनोद: स्फुट कविता संग्रह, बाल विकास, 17-18