तोरा बिना जिनगी,
कनसार लागै छै।
खपड़ी में बालू,
अंगार लागै छै।
चूल्हा पर तड़पै छै
भूंजा जेनाँ।
धरती पर तड़पै छै,
जीवन ओनाँ।
चैतेॅ में गरमीं
जेठार लागै छै।
तोरा बिना जिनगी
कनसार लागै छै।
पानी पताल गेलै
सगरो हाहाकार होलै।
ऊपर सें पछिया केॅ
नागिन फुफकार होलै।
चान सुरूज सेहो,
खूँखर लागै छै।
तोरा बिना जिनगी
कनसार लागै छै।
11 अप्रैल, 2016 चैतशुक्ल चौठ
संवंत 2073 प्रातः चार बजे