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तोरा बुलाबै वासतें / अनिरुद्ध प्रसाद विमल

 तोरा के कखनी कहलकौं
दिल लगावै वासतें,
प्यार के जजबात ई
होय छै छिपावै वासतें।

जिन्दगी दर्द सें भींजलोॅ
रात के दास्तान छेकै,
दस्तूर ई छेकै मुहब्बत गम पीयोॅ
गम होतै छै लोर बहावै वासतें।
चुपेचूप प्यार करलियै हम्में
कानी केॅ रात बितैलियै हम्में,
ठोर सूखी केॅ बचलोॅ छै खाली
आह भरै के वासतें।

कानवोॅ देखी केॅ ही हमरोॅ
सीना चाक होलोॅ छै पत्थर के,
पत्थर-पत्थर लिखलां गीत
तोरा मनाबै बासतें।

किरिया भूलै के देनें छोल्होॅ
कहाँ विमल भूललोॅ छौं तोरा,
तिनका-तिनका संदेशोॅ सें भरलोॅ
तोरा बुलाबै वासतें।