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तोल अपने को तोल / जमील मज़हरी

देख के कर्रोफ़र दौलत की तेरा जी ललचाय
सूँघ के मुश्की ज़ुल्फ़ों की बू नींद-सी तुझ को आए
जैसे बे-लंगर की किश्ती लहरों में बोलाय
      मन की मौज में तेरी नीयत यूँ है डावाँडोल
                        तोल अपने को तोल,

यह गेसू<ref>बालों की लटें</ref>, यह बिखरे गेसू, नाग हैं, काले नाग
इन तिरछी-तिरछी नज़रों को लाग है, तुझसे लाग
रूप की इस सुंदर नगरी से, भाग रे शाइर भाग
      तुझसे तुझको छीन रहे हैं, यह परियों के गोल
                        तोल अपने को तोल ।

शब्दार्थ
<references/>