दीखता नहीं है अदृश्य
तो क्या है
सूने आकाश में जो दीखता है
वह
सुनाई नहीं देता है
जो है निश्शब्द
तो क्या है वह
निस्पन्द गूँजता हुआ
चुप में तुम्हारी
क्रिया है प्रेम करना जो
तो वह क्या है
तुम्हारे ध्यान में जो
हो गया है थिर !
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14 जुलाई 2009