तौं चुळंख्यूं धारु मा / लोकेश नवानी

तौं चुळंख्यूं धारु मा आली जुन्याळी हे भुला
धरती मनिख तैं हेरि की आंसू बोगाली हे भुला।
लगदी बडूळी पराज अर कबलांदो सी रै मन मेरो
जिकुड़ी क्य होंद खुदेड़ की कै तैं बिंगाली हे भुला।
बतुली बुझीनी कूड़्यूं की टुटिनी पठाळी धुरपळी
कतनै खेलिन तै चैक मा कै तैं बताली हे भुला।
नी पूस रै नी सुणदरा संसार बदली गे सरा
दादी कथा ये देस की कै तैं सुणाली हे भुला।
लगिनी पंखूड़ू फुर्र कै सब घोल छोड़ी उड़गिना
ब्वे नौंण घ्यू की गोंदकी कै तैं खलाली हे भुला।
होलू पराण निरास जब छाली अंधेरि डंडेळि मा
उम्मीद की बाली किरन गोया लगाली हे भुला।

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