Last modified on 28 फ़रवरी 2009, at 10:15

त्याग की परिभाषा / सौरभ

ज्ञानी कहते हैं सीखो त्याग
पर हे ज्ञानी
त्याग तो भोग से ही सँभव है
त्याग तो उसी का कर पाऊँगा मैं
जिसका मैंने किया हो भोग।
हे ज्ञानी!
सब महापुरुष पहले तो थे पुरुष ही
कृष्ण, राम हो या हो बुद्ध महावीर
पहले यह सब थे तो राजा ही
माना बाद में सम्राट बने
गृहस्थ से ही सँत हुये नानक और कबीर
यह माना कि
हम भोग कर उसी में रहे लिप्त
और यह वह है जो भोग से ऊपर उठ
कहलाए अष्टावक्र
जिन्हें बाद नें हुआ थोड़ा
वह जनक कहलाए।