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त्रिपदी / दिनेश कुमार शुक्ल

चंद्र है चकोर वही
वृळ है किशोर वही
वही वीतराग
वही भाव में विभोर है

नित्य है अनित्य वही
स्वप्न वही, सत्य वही
वही पद्मपाणि
वही भैरव अघोर है

अथाह है अछोर
घटा घोर घनघोर
और चोंच में दबाये
कालसर्प मन-मोर है