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थळी रा संस्कार / राजूराम बिजारणियां

छोरी
काची उमर में
भांडो काची माटी रो!

झींटाखोसी
बाळपणै-जुवानपणै बीच।

कमरे में काया
काया में मन
मन अधपाको
अधपाकी दीठ
दीठ भींत में
भींत में आरसी
आरसी में
मूरत रूप लेवता
विचार चोखा-माड़ा

देवै गरणैटा
भरै उडार
कमरै सूं आंगणैं
आंगणैं सूं थळी..!

पण ओ कांई..?
रोक्यो कुण
टोक्यो कुण
फिरîो कुण आडो
उंतावळै मन रै..

मा.!
बापू.!!
का फेर..

संस्कार थळी रा.!!!