शेर सिंहजी नियुक्ति हो गए,
वाहन चालक के पद पर।
तेज-तेज बस लगे चलाने,
दिल्ली कलकत्ता पथ पर।
तीन बार सिग्नल को तोड़ा,
चार हाथियों को रौंधा।
डर के मारे बीच सड़क पर,
घोड़ा गिरा, हुआ औंधा।
सीटी बजा बजा चूहे ने,
किसी तरह बस’ रुकवाई।
उसी समय पर दौड़े दौड़े,
आ पहुंचे घोड़ा भाई।
दोनों ने जाकर थाने में,
रपट शेर की लिखवाई।
जब से अब तक बंद पड़े हैं,
थाने में शेरू भाई।
बड़े बड़े लोगों की भी अब,
नहीं चलेगी मनमानी।
जेल उन्हें भी जाना होगा,
जो करते हैं शैतानी।