कालै म्हनै ओळ्यूं आयी
गंगा री, जमना री
अनै थां री
पण थूं तौ फकत,
एक बगती नदी ई तौ हैं
अर म्हैं, समन्द
म्हैं जाणूं
थां रौ छेकड़लौ पड़ाव!
थूं म्हनै टाळ
और कठै जावसी
कालै म्हनै ओळ्यूं आयी
गंगा री, जमना री
अनै थां री
पण थूं तौ फकत,
एक बगती नदी ई तौ हैं
अर म्हैं, समन्द
म्हैं जाणूं
थां रौ छेकड़लौ पड़ाव!
थूं म्हनै टाळ
और कठै जावसी