थोड़ा-सा मेरा नसीब
थोड़ा-सा मेरा सलीब
लटका थोड़ा-सा गले में
थोड़ा-सा मन के क़रीब
थोड़ा-सा मर जा तू
थोड़ा-सा फिर जीवित हो
फिर थोड़ा-सा मर जा तू
जैसे सलीब पर कीलित हो
थोड़ा-सा तू प्यार करे
थोड़ा-सा दुलार करे
थोड़ा-सा तू भूल जा उसको
फिर थोड़ा-सा लाड़ करे
थोड़ा-सा नाराज़ हो पहले
फिर थोड़ी-सी ग़लती मान
पहले थोड़ा दूर हो उससे
फिर थोड़ी-सी कर पहचान
थोड़ा-सा तू रोकर देख
दूर नहीं फिर प्रेम का सेंक
छिलके-सा उतरेगा फिर
तेरे होंठों से संलेप
थोड़ा-सा अनुरागी हो तू
थोड़ा-सा विरागी हो तू
इस राग-विराग के संग ही
जीवन का सहभागी हो तू