थोड़ी देर में अनुपस्थिति से उपस्थिति की ओर
वापसी शुरू, थोड़ी देर और
सपने और सच का वह अदम्य
झिलमिल, जिसे प्रेम कहते हैं,
फिर दीखने लगेगा जैसे हम
अन्तरिक्ष में किसी नक्षत्र को
अपने घर की तरह देख रहे हों।
वही घर है,
उसी में सुख-दुख राहत,
उसी में रोटी-पानी-नमक,
उसी के ओसारे में बैठकर
हम सुस्ताते हैं
और सोचते हैं कि चलो,
कल फिर आगे चलना शुरू करेंगे।