Last modified on 6 मई 2008, at 01:15

दन्त क्षत से अधर व्याकुल.../ कालिदास

मुखपृष्ठ  » रचनाकारों की सूची  » रचनाकार: कालिदास  » संग्रह: ऋतुसंहार‍
»  दन्त क्षत से अधर व्याकुल...


लो प्रिये हेमन्त आया!

दन्त-क्षत से अधर व्याकुल,

तरुण मद से नयन धूर्णित

मीन कुच कर सधन मर्दित

लेप सब करते विचूर्णित,

अंगना तन में सुरत ने

मधुर निर्दय भोग पाया,
लो प्रिये हेमन्त आया!