ठोंक दिया दफ़्तरी सलाम
और चल दिए
हम फिर हो गए हाशिए
जैसे कोई दुखता घाव
करे ब्लीडिंग
हम ऐसे ही करते रहे
प्रूफ़-रीडिंग
आख़िर हैं धूप के ग़ुलाम
छाँह के दिए
परवशता के दुभाषिए
ठोंक दिया दफ़्तरी सलाम
और चल दिए
हम फिर हो गए हाशिए
जैसे कोई दुखता घाव
करे ब्लीडिंग
हम ऐसे ही करते रहे
प्रूफ़-रीडिंग
आख़िर हैं धूप के ग़ुलाम
छाँह के दिए
परवशता के दुभाषिए