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दफ़्तर में लड़की / कुमार मुकुल

अपने मित्र को खोजती

आई एक लड़की

लगा सामान्य नाक-नक्शा है

फिर सुन्दर लगी वह

और मुस्कराई

तो फूट पड़ी पाँत दाँतों की

जैसे फूटी हो हँसी

मैंने समेटी हँसी

और आ बैठा कमरे में चुपचाप।