आसमान
झुका-झुका
झुकी-झुकी रात ।
दबे-दबे
पाँव बढ़ी
दबी-दबी बात ।
साँय-साँय
सिहर-सिहर
हिले-डुले पात ।
पात-पात
रात-रात
बिखर गई बात ।
पेड़ों की डाल-डाल
गेहूँ की बाल-बाल
किलक उठा प्रात !
आसमान
झुका-झुका
झुकी-झुकी रात ।
दबे-दबे
पाँव बढ़ी
दबी-दबी बात ।
साँय-साँय
सिहर-सिहर
हिले-डुले पात ।
पात-पात
रात-रात
बिखर गई बात ।
पेड़ों की डाल-डाल
गेहूँ की बाल-बाल
किलक उठा प्रात !