Last modified on 21 मई 2011, at 01:24

दयनीय है वह देश / मदन कश्यप

(खलील जिब्रान के एक रचनांश पर आधारित)

अंधविश्‍वासों से पूर्ण वह देश दयनीय है
जो जागृतावस्‍था में
सपनों में तिरस्‍कृत इच्‍छाओं के वशीभूत हो जाता है

दयनीय है वह देश
जो अपना अन्‍न स्‍वयं नहीं उगाता
अपना कपड़ा स्‍वयं नहीं बुनता

वह देश भी दयनीय है
जहां जुलूस केवल मृत्‍यु का निकलता है
और नारे केवल 'रामनाम सत्‍त है' के लगते हैं
जहां बगावत कभी नहीं होती

तब भी नहीं
जब गर्दन बलिवेदी पर रख दी जाती है


दयनीय है वह देश भी
जिसके राजनीतिज्ञ लोमड़ी हैं

दार्शनिक बाजीगर
और कलाकार बहुरूपिए

दयनीय है वह देश
जिसके महात्‍मा इतिहास के साथ गूंगे हो गए हैं
और शूरवीर अभी पालने में झूल रहे हैं!