दयाबाई राजस्थान की रहने वाली थीं। ये सहजो बाई की गुरुबहन थीं। ये आजीवन ब्रह्मचारिणी रहकर दिल्ली में अपने गुरु चरणदास की सेवा करती थीं। 'दया-बोध इनका काव्य-संग्रह है। इन्होंने निर्गुण परक पद, साखी, चौपाई आदि लिखी हैं जिनमें भाव की तन्मयता है। इनकी भाषा परिष्कृत ब्रज भाषा है।