हमें
दरख़्त से जानना चाहिए
एक जगह
खड़े रहकर भी
चलते रहेने का रहस्य
दरख़्त
जो हवा को
अपने ऊपर मँडराते देख
विचलित नहीं होता
उसके संग-संग बहता है
दरख़्त
जो धूप को
अपने अंग-अंग में भरकर भी
उससे मुक्त रहता है
दरख़्त
जो पानी को
जड़ों का पता बताकर भी
अपनी ज़मीन से जुड़ा रहता है
हमें सचमुच
दरख़्त से सीखना चाहिए
अकेले होते हुए भी
छाया देते रहेने का रहस्य