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दरसाव / मदन गोपाल लढ़ा

बाप रो
प्रण पाळण
वन गया राम
चवदै बरसां सारू
अवध सूं।

पड़दो गिरग्यो।
(दरसाव बदळण खातर।)

कोनी बावड़्या राम
पाछा
अजै लग
जुग बीतग्या।
(पड़दो हाल तांई कोनी उठ्यो!)