मारो छीन लो
निचोड़ लो
हमारी नस-नस से
लहू की आखिरी बूंद
और कहते रहो
खामोश....
आवाज मत निकालो
आंखों में आंखें मत डालो
सदी दर सदी
यही किया है तुमने
पर अब नहींअ
ब गांव, शहर
और हर गली-कूचे से
होती हुई
गरज़ती आवाज
जो फाड़ डालेगी
तुम्हारे कान के पर्दे
जिन्हें पसंद है
सिर्फ - घिघियाना
और गिड़गिड़ाना
तुम्हारे चाबुक की
चोट का जवाब
देंगे तुम्हें अब हम
आखिर दर्द का स्वाद
तुम भी तो चखो।।