ताड़, खजूर, पौधे, तृण-
चले जा रहे हैं धरती से आकाश की ओर;
किरणें, वर्षा की बूँदें-
चली आ रही हैं आकाश से धरती की ओर;
सृष्टि में कब न हे
दलबदलू!
ताड़, खजूर, पौधे, तृण-
चले जा रहे हैं धरती से आकाश की ओर;
किरणें, वर्षा की बूँदें-
चली आ रही हैं आकाश से धरती की ओर;
सृष्टि में कब न हे
दलबदलू!