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दल बदलू / मथुरा नाथ सिंह 'रानीपुरी'

मास्टर साहब बोललै एक दिन
कौनें कहतै ऐन्हऽ नाम
रूप-ओ बदलै जौने अपनऽ
डेगे डेगे, ठामें-ठाम।

सुनत्हैं मंटा उठिये गेलै
करजोरी करकै प्रणाम
आय चलियै हमरा साथें
देखियै दल-बदलू के काम।

माथऽ पर ई बाल बिराजै
भौहें आँखी उपरें
पलकऽ पर ई पिपनी बोलै
आरो नाकी तरें।

ठोरें उपरें मोछ कहै छै
दाढ़ी गालें उपरे
छाती पर थोड़े लहरावै
आरो कांखी तरें।

पेटऽ पर ई दर्शन करियै
फिरू आगू चलियै
सुनत्हैं गुरूजी बोललै
बहुतें देखलौं धाम।

अबेॅ नै देखबऽ दल-बदलू केॅ
रे मंटा तोंय ऊपरे थाम
ई रंग दल बदलू से मंटा
के नै कहाँ कहाँ परेशान
कन्हौं ननका लीक्खर चूसै
कन्हौं ढीलें हिन्दुस्तान।