रात के एकांत में
खिड़की के रास्ते आकर
उस को नहलाती है
चांदनी
और उसे कभी भी
ज़रूरत नहीं पड़ती
अपने घर की
दहलीज़ फलांगने की.
रात के एकांत में
खिड़की के रास्ते आकर
उस को नहलाती है
चांदनी
और उसे कभी भी
ज़रूरत नहीं पड़ती
अपने घर की
दहलीज़ फलांगने की.