Last modified on 12 जून 2011, at 23:25

दहशत / विश्वनाथप्रसाद तिवारी

मैंने उन्हें प्यार करते देखा

चाँदनी कातिक की
और रात एक पारदर्शी झील-जैसी

वे दोनों फूल की तरह थरथरा रहे थे
एक छोटे हरसिंगार के नीचे

मैंने उन्हें प्यार करते देखा

मुझे अचरज हुआ

मैं उनके साहस पर मुग्ध हुआ

मुझे आशंका हुई

मैंने उन्हें प्यार करते देख लिया था ।