तुम नहीं हो
फिर भी हमें लगता है
तुम यहीं कहीं हो
कभी घड़े के पानी की तरह
उतरती हो हमारे गले में
कभी अन्न का स्वाद बनकर
शांत करती हो हमारी भूख
दीये की लौ की तरह
जलती हो हमारी पूजा में
फूलों की सुगन्ध बनकर
बसती हो हमारी प्रार्थना में
एक आभास की तरह
जिन्दा हो हमारे रग-रग में
हवा की तरह मौजूद हो
हमारे हर दु:ख- सुख में
तुम यहीं कहीं
बसी हुई हो हमारे दिल में
जैसे मौजूद थे हम कभी
तुम्हारी कोख में ।