दादी कहती है कि
जब जब नया साल आता है
महँगाई की फुटबॉल में
दो पंप हवा और डाल जाता है
गरीबी की चादर में
एक पैबंद और लगाकर
भ्रष्टाचार का प्रमोशन कर जाता है
ईमानदारी कहीं बदचलन न हो जाए
इसलिए
बेईमानी का पहरा बैठा जाता है
मटर के खेतों की रखवाली
बकरों को सौंप जाता है।
दादी यह सब देखकर
जाने क्यों चिढ़ती है
शायद सठिया गई हैं
अरे ठीक ही तो है
नया साल आएगा
खुशियाँ लाएगा
महँगाई की फुटबॉल को
थोड़ा और फुला जाएगा
सच खेलने में बड़ा मज़ा आएगा।
खेलने में बड़ा मज़ा आएगा।।