असली दाँत गिर गए कब के
नकली हैं मजबूत,
इनके बल पर मुस्काती है
क्या अच्छी करतूत।
बड़े बड़ों को आड़े लेती
सब छूते हैं पैर,
नाकों चने चबाने पड़ते
जो कि चाहते खैर।
उनका मुँह अब नहीं पोपला
सही सलामत आँत,
कभी नहीं खट्टे हो सकते
दादी जी के दाँत।
असली दाँत गिर गए कब के
नकली हैं मजबूत,
इनके बल पर मुस्काती है
क्या अच्छी करतूत।
बड़े बड़ों को आड़े लेती
सब छूते हैं पैर,
नाकों चने चबाने पड़ते
जो कि चाहते खैर।
उनका मुँह अब नहीं पोपला
सही सलामत आँत,
कभी नहीं खट्टे हो सकते
दादी जी के दाँत।