Last modified on 5 अप्रैल 2020, at 22:40

दादी - 2 / लक्ष्मी खन्ना सुमन

भरी टोकरी फल की लेकर
आए दादा भीतर

पीछे-पीछे आई दादी
कपड़े नए लिए घर

अच्छी दादी, प्यारी दादी
बैठ ज़रा सुस्ताओ

कहाँ रही थी इतने दिन तक
जरा हमें समझाओ

जब मम्मी से डांट पड़ी थी
याद बहुत तुम आई

पापा कि सख्ती से तुमने
जरा ढील दिलवाई

अब हम सब मिलकर खेलेंगे
साथ हमारे रहना

रोज घूमने जाएँगे हम
रोज कहानी कहना