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दिन-रात / कन्हैया लाल सेठिया

1

तम रो डील बडाळ घणो पण
जाबक काची छाती
भरै चूंठियो कोनी संकै
तमक दियै री बाती !

2

लोढ़ो चांद सिलाड़ी आभो
ऐ बिदाम सा तारा
घुटै च्यानणी री ठंडाई
बरसै रस री धारा,

3

जलम्या तम रावण रै कुळ में
भगत विभीषण तारा,
देख फाटतां भाक रळ गया
सूरज सागै सारा

4

गगन बोरसी तारा खीरा
तिमिर तुओ धर ऊपर,
सेकै बगत रसोयो बैठो
दिन रो फलको बीं पर !

5

तिमिर रूंखड़ै रै तारां रा
लड़ालूम फळ लागै,
मावस माळण रा पण सुणतां
चांद चोरटो भागै

6

करी नखत छांटां स्यूं गीली
तम री सूखी माटी,
काळ कुमार भाण रो दिवलो
रच्यो जणां पौ फाटी

7

रगड़ गगन माचिस स्यूं तूळी
ऊषा री सिलगाई,
बुझ्यै भाण रै दिवलै री लौ
फेरूं बगत जगाई !

8

मा माटी री कूख जलमिया
ऐ दिवला अवतारी,
काढ़ किरण-शर लौ तरकस स्यूं
रात ताड़का मारी !

9

बजरमान तम गढ़ री भींतां
पण कद लागै जेज ?
करै दियै री नान्हीं सी लौ
परकोटै में बेझ !

10

तम हथीड़ो तारा कुतिया
भाजै भुसता लारै,
लौ अंकुश स्यूं दिवलो मावत
राखै इण न सारै

11

बड़ै घरां में तिमिर धिंगाणै
बरज्यो रवै न सारै,
दिवलै री लौ दे चनपट री
रोज माजनो मारै !

12

मांझळ रात सांवळी जमना
दिन गंगा रो पाणी,
नेह भंवर में डूबी मीरा
तिरयो कबीरो ग्यानी !

13

गगन चालणी महाकाळ री
तारा बेझ अशेष,
छण ज्यासी जद तिमिर कूटळो
रह ज्यासी दिन सेस।

14

दूज चांद ज्यूं चाक हाथ में
छोरो बगत पढेसर,
तारां री बारखड़ी मांडी
तम री पाटी ऊपर !

15

कंत भाण जद भटक बावड़यो
हरख उषा घर नार,
काळ हथेळी ऊपर धरियो
दिवस पतासो ल्या‘र !

16

देख बारणै आयौ तम नै
काढयो लौ रो टिको,
दिवलै री करूणा मावस रो
रंग कर दियो फीको !