दिन आज विशेष सु-लग्न लिए, शुचि गंग सु-अंक पसार गई
युग से मल युक्त विकार सने, अघ पंकिल पाँव पखार गई।
निज पावन नीर प्रसाद दिए, अति वंचक चित्त सुधार गई।
प्रणमामि निरंतर हे जननी, बह भारत भाग्य सँवार गई।
दिन आज विशेष सु-लग्न लिए, शुचि गंग सु-अंक पसार गई
युग से मल युक्त विकार सने, अघ पंकिल पाँव पखार गई।
निज पावन नीर प्रसाद दिए, अति वंचक चित्त सुधार गई।
प्रणमामि निरंतर हे जननी, बह भारत भाग्य सँवार गई।