Last modified on 22 जनवरी 2019, at 11:36

दिल्ली में भी पेड़ / अनुक्रमणिका / नहा कर नही लौटा है बुद्ध


दिल्ली में भी पेड़े हैं।
पेड़ के नीचे लेट जाऊँ तो बादल भी दिखेंगे।

कोई चाकू लेकर डराता है तो डराता रहे,
मैं पेड़ के नीचे की ज़मीं पर उतना ही लेटा रहूँका
जितना आदिवासी जंगलों में बसे हैं।

मेरे बादल मेरे साथ मेरे विक्षोभ में शामिल रहेंगे,
आ जाए पुलिस अगर आती है तो।

जिसे नहीं दिखता आदमी,
उसे पेड़ और बादल क्या दिखेंगे।