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दिल तो पागल है / आनंद बख़्शी

दिल तो पागल है, दिल दीवाना है ।

पहली पहली बार मिलाता है ये ही
सीने मे फिर आग लगाता है
धीरे धीरे प्यार सिखाता है ये ही
हंसाता है यही यही रुलाता है
दिल तो पागल है, दिल दीवाना है ।

सारी सारी रात जगाता है यही
अँखियो से नींद चुराता है
सच्चे झूठे ख़्वाब दिखाता है यही
हंसाता है यही यही रुलाता है
दिल तो पागल है, दिल दीवाना है ।

इस दिल की बातो मे जो आते हैं
वो भी दीवाने हो जाते हैं
मँज़िल तो राही ढूँढ लेते हैं
रस्ते मगर खो जाते हैं
दिल तो पागल है, दिल दीवाना है.

सूरत से मै ना पहचानूँगी
नाम से भी ना उसको जानूँगी
देखूँगी कुछ ना मै सोचूँगी
दिल जो कहेगा वो ही मानूँगी
दिल तो पागल है, दिल दीवाना है ।

दिल का कहना हम सब माने
दिल ना किसी की माने
जान दी हमने जान गए सब
एक वो ही ना जाने
दिल तो पागल है, दिल दीवाना है ।

रहने दो छोड़ो ये कहानियाँ
दीवानेपन की सब निशानियाँ
लोगो की सारी परेशानियाँ
इस दिल की है ये मेहरबानियाँ
दिल तो पागल है, दिल दीवाना है ।