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दिल मोम सा / राजकिशोर सिंह

न ऽुशी है न गम है
न प्रकाश है न तम है

दिलबर की याद में
अब दिल में न दम है

न भय है न प्रीति है
मन जीने का कम है

गरमी है मगज में
पर आँऽों में नम है

कुछ बचा न घर में
पर मन में अहम है

कैसे रचूँ मेंहदी
द्वार ऽड़ा यम है

बाहर जग कुछ है
अंदर-अंदर शरम है

बाहर से दिऽता कठोर पर
दिल मोम सा नरम है।