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दिवलै री गत / शिवराज भारतीय

कोई नीं जाणै
जगमगाट करतै
दिवलै री गत।

कद कोई भतूळियो
दिप-दिप करतै
हांसतै मुळकतै
आपरी खिमता मुजब
आंगणै नै
च्यानणैं सूं
सैंचन्नण करतै
दिवलै नै
आपरै फटकारै सूं
लीलज्यै।
कोई नीं जाणै
दिवलै री
कद मठी पड़ज्यै जोत
दिवलै रो अदीठ तेल
कद निठज्यै
अर कद बडो हुज्यै दिवलो
कोई नीं जाणै।