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दिवलो / कन्हैया लाल सेठिया

तारां री मेखां ठोक्योड़ा
तम-गढ प्रोळ किंवाड़
डरै मारता हाथी भेटी
भींचै मावत जाड़,

पण दिवलै री लौ री मुट्ठी
तोड़ै बजर-कपाट,
किरणां री रेती सूरज री
बेड़ी देवै काट !