धूप ऐसी रज़ाई
जो हमें मुफ़्त में मुहैया
जैसे घास मवेशियों के लिए
वह इतनी अंतहीन
कि पाँव कहीं से भी
बाहर नहीं रहते
लेकिन वह वहाँ-वहाँ से फटी है
जहाँ-जहाँ छांव है
धूप ऐसी रज़ाई
जो हमें मुफ़्त में मुहैया
जैसे घास मवेशियों के लिए
वह इतनी अंतहीन
कि पाँव कहीं से भी
बाहर नहीं रहते
लेकिन वह वहाँ-वहाँ से फटी है
जहाँ-जहाँ छांव है