कॉलेज री
देळियां माथै चढ़गी छोरियां
पण अजै तांई
वा ही भोळप
वा ही निश्छलता
वा ही निरमळता
लखावै।
टाबरपणै री वा
वा चुलबुलाट
वा चै‘चाट
वा खिलखिलाट
अचाणचकै
मंगस पड़गी
अर
उण जिग्यां
कद आय‘र
लाज
सरम अर झीझक
भरगी।
कांई ठा
छोरियां उमर में
मोटी हुगी
कै जमानै री दीठ
छोटी हुगी।