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दीठ / हरीश बी० शर्मा


सिरजण वाळा
सांच तो लिखै
प्रकाशक चावै जिसो
प्रकाशक री दीठ
मन री सीख,
आंख रो साच
अर पांख री
जातरा रा मंतर
पाछा टिगट लाग्यै लिफाफै में
आ जावै है,
जित्ता भेजो।