Last modified on 4 अगस्त 2012, at 11:35

दीपक के जीवन में / अज्ञेय

दीपक के जीवन में कई क्षण ऐसे आते हैं, जब वह अकारण ही, या किसी अदृश्य कारण से, एकाएक अधिक दीप्त हो उठता है, पर वह सदा उसी प्रोज्ज्वलतर दीप्ति से नहीं जल सकता।
प्रेम के जीवन में भी कई ऐसे क्षण आते हैं जब अकस्मात् ही उसका आकर्षण दुर्निवार हो उठता है, पर वह सदा उसी खिंचाव को सहन नहीं कर सकता।
फिर, प्रियतम! हम क्यों चाहते हैं सदा इस ऊध्र्वगामी ज्वाला की उच्चतम शिखा पर आरूढ़ रहना!

1936