दुखद कहानियाँ जागती हैं
रात ज़्यादा काली हो जाती है
और चन्द्रमा ज़्यादा अकेला
इनका नायक अभी मंच पर नहीं आया
या बार-बार वह आता है
अब किसी मसखरे के वेष में
और पहचाना नहीं जाता
दुखद कहानियाँ जागती हैं
जो सुबह की ख़बरों में छिपी हुई रहीं
और दिनचर्या की मदद से
हमने जिनसे ख़ुद को बचाया
इन्हें सुनते हुए हम अक्सर बेख़बरी में
मृत्यु के आसपास तक चले जाते हैं
या अपने जीवन के सबसे गूढ़ केन्द्र में लौट आते हैं