Last modified on 29 जून 2017, at 12:04

दुख-४ / दुष्यन्त जोशी

सुख
भागआळै नै परखै
अर दुख
लूंठै मिनख नै

पण
जिकै देख्यौ नीं दुख
बौ
दुखी है
सैं सूं बडौ।