दिन ढले
धोरे की ढलान ढलता
गडरिया,
फोगों बीच
चरती भेड़ों के गले
बजती घंटियों के सुर।
सचमुच,
यही है-
दुनिया की बेहतरीन कविता।
1990
दिन ढले
धोरे की ढलान ढलता
गडरिया,
फोगों बीच
चरती भेड़ों के गले
बजती घंटियों के सुर।
सचमुच,
यही है-
दुनिया की बेहतरीन कविता।
1990